बेसिक शिक्षा ट्रांसफर बीच सत्र में क्यों? High Court आदेश के उलट Transfer आदेश | Devesh Mishra रिपोर्ट

हाईकोर्ट के आदेश को नजरअंदाज, बीच सत्र में ट्रांसफर का नया आदेश!

बेसिक शिक्षा ट्रांसफर बीच सत्र में करने का आदेश अब राज्य भर में विवाद का कारण बन गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट और उत्तर प्रदेश शासन की स्पष्ट मंशा के बावजूद शिक्षकों को जुलाई में कार्यमुक्त और नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश जारी कर दिया गया है।


🧾 सचिव के आदेश पर उठे सवाल, जारी हुई ट्रांसफर लिस्ट

सचिव महोदय द्वारा 1 जुलाई 2025 को कार्यमुक्ति और कार्यभार ग्रहण की तिथि तय की गई है। इस आदेश के बाद जौनपुर सहित विभिन्न जिलों के बीएसए ने भी अपने-अपने शिक्षकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। लेकिन यह आदेश हाईकोर्ट के पहले के निर्णयों और शासनादेशों के विरुद्ध बताया जा रहा है।


⚖ हाईकोर्ट और शासन के आदेश क्या कहते हैं?

28 जुलाई 2022 को जारी ट्रांसफर नीति में साफ लिखा गया है कि शैक्षिक सत्र के बीच में स्थानांतरण नहीं होंगे। इसके अलावा 27 दिसंबर 2024 को प्रमुख सचिव डॉ. एम.के. शन्मुगा सुंदरम के आदेश में भी कहा गया है कि इंटरडिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर केवल अवकाश काल में ही होंगे।


📚 तबादला नीति का स्पष्ट नियम: छुट्टी में ही ट्रांसफर

बेसिक शिक्षा ट्रांसफर बीच सत्र में जारी आदेश के खिलाफ शिक्षकों की प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अनुसार, ग्रीष्मकालीन (20 मई–15 जून) या शीतकालीन (31 दिसंबर–14 जनवरी) अवकाश में ही स्थानांतरण प्रक्रिया होनी चाहिए। यह नियम छात्रों की पढ़ाई और सत्र की निरंतरता बनाए रखने के लिए निर्धारित किया गया है।


🚫 दो साल से कम सेवा वालों को ट्रांसफर की मनाही

2022 की नीति में यह भी प्रावधान है कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि दो वर्ष से कम है, उनका स्थानांतरण नहीं होगा। फिर भी हाल ही में जारी लिस्ट में कई ऐसे नाम भी सामने आ रहे हैं, जिनकी सेवा दो साल से कम है।


🔍 देवेश मिश्रा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

वरिष्ठ शिक्षक देवेश मिश्रा की रिपोर्ट में इस प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्र के मध्य में ट्रांसफर करना हाईकोर्ट की अवहेलना है और इससे ना केवल शिक्षकों को बल्कि छात्रों के हितों को भी नुकसान हो सकता है।


📌 निष्कर्ष: नीति बनाम आदेश – असमंजस में शिक्षक समुदाय

यह ट्रांसफर आदेश एक बार फिर से यह सवाल उठाता है कि क्या प्रशासनिक आदेशों को न्यायिक निर्देशों पर तरजीह दी जा सकती है? शिक्षकों और शिक्षाविदों में इस विषय पर असंतोष और भ्रम दोनों ही देखा जा रहा है।

देवेश मिश्रा की रिपोर्ट

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