
दुनिया भारत को मानती है विश्वगुरु
Vishwaguru Bharat की अवधारणा को एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को उसके आध्यात्मिक ज्ञान और धर्म के लिए महत्व देती है। यह वही चीज है जो अन्य देशों के पास नहीं है।
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, पर असली पहचान अध्यात्म
भागवत ने नागपुर के एक मंदिर में आयोजित समारोह में कहा कि अगर भारत 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था भी बन जाए, तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि कई देश यह कर चुके हैं। लेकिन भारत की सच्ची ताकत अध्यात्म और धर्म में है, जिसे दुनिया सम्मान देती है।
धन जरूरी, पर धर्म सर्वोपरि
आरएसएस प्रमुख ने माना कि धन और आर्थिक विकास जरूरी है, पर भारत को असली मायने में विश्वगुरु तब माना जाएगा जब वह अध्यात्म और धर्म के मार्ग पर सबसे आगे होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रगति सभी क्षेत्रों में होनी चाहिए, लेकिन आध्यात्मिक उन्नति ही हमें विशिष्ट बनाती है।
भगवान शिव से निर्भयता का संदेश
अपने संबोधन में भागवत ने भगवान शिव का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारा जीवन भी इतना निर्भय होना चाहिए कि हम अपने गले में सांप भी धारण कर सकें। उन्होंने कहा कि भारत की महानता इस बात में है कि वह सबको अच्छाई देकर महान बनता है।