
ट्रंप टैरिफ वॉर में उभरी नई शक्ति
Trump Tariff War में एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत, चीन और रूस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इन तीनों देशों के बीच तेजी से कूटनीतिक संपर्क बढ़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में शीर्ष नेताओं के बीच लगातार बातचीत ने दुनिया को साफ संकेत दे दिया है — ये एकजुटता किसी संयोग का नतीजा नहीं है।
मोदी-पुतिन की लंबी बातचीत
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से विस्तार से बातचीत की। यूक्रेन मुद्दे पर ताज़ा अपडेट साझा करने के लिए मोदी ने पुतिन का आभार जताया। दोनों नेताओं ने भारत-रूस विशेष रणनीतिक साझेदारी को और गहराने पर सहमति जताई। पुतिन इस साल के अंत तक भारत आने वाले हैं, जिसका मोदी ने स्वागत किया।
चीन भी स्वागत को तैयार
कुछ ही देर बाद पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बात की। वहीं, चीन ने मोदी की आगामी यात्रा पर खुशी जताते हुए इसे ‘मित्रता का समागम’ बताया। यह कदम सीधे तौर पर अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच तीनों देशों की रणनीतिक नज़दीकी को दर्शाता है।
ब्रिक्स देशों में संवाद तेज
ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स के चार संस्थापक देशों — भारत, चीन, रूस और ब्राजील — को अपने टैरिफ फैसलों से निशाना बनाया था। इसी कड़ी में मोदी ने एक दिन पहले ब्राजील के राष्ट्रपति लुला दा सिल्वा से भी चर्चा की।
भारत का सख्त विरोध
अमेरिका ने भारत पर पहले 25% और फिर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने का एलान किया, आरोप लगाते हुए कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। भारत ने इस कदम को असंगत और अन्यायपूर्ण बताया, साथ ही साफ कर दिया कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।
आगामी कूटनीतिक दौर
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हाल ही में मॉस्को में पुतिन से मिले थे, और अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी जल्द रूस और चीन की यात्रा करेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के टैरिफ फैसले ने बीते 20 वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने की कोशिशों को गहरा झटका दिया है।