⚖️ Amit Shah Retired Judges विवाद: क्यों भड़के रिजिजू?
Amit Shah Retired Judges विवाद ने देश की राजनीति और न्यायपालिका के रिश्तों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने रिटायर्ड जजों द्वारा अमित शाह के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर तीखी नाराज़गी जताई है।
🔥 “यह न्याय नहीं, राजनीति है!” – रिजिजू का सीधा आरोप
किरन रिजिजू ने कहा कि कुछ रिटायर्ड जज न्यायपालिका की गरिमा को छोड़कर एक राजनीतिक एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा, “यह ठीक नहीं है। यह देश की न्याय व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश है।”
🕵️♂️ कौन हैं ये Retired Judges और क्या है उनका मकसद?
हाल ही में कुछ पूर्व न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ बयान दिए और उनके कथित कदमों पर सवाल उठाए। लेकिन यह अभियान सत्ताधारी पार्टी को सीधा निशाना बना रहा है, जिससे इसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
⚠️ कानून मंत्री का बड़ा बयान: “इनका एजेंडा उजागर हो चुका है”
रिजिजू ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कुछ रिटायर्ड जज एकतरफा आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार है, लेकिन न्यायपालिका के पूर्व पदों का इस्तेमाल निजी एजेंडा चलाने के लिए नहीं होना चाहिए।
📢 “आपके समय में क्या सब आदर्श था?”
किरण रिजिजू ने चुटकी लेते हुए पूछा—“जब ये जज पद पर थे, क्या तब सब कुछ सही था? क्या तब न्याय व्यवस्था में कोई खामी नहीं थी?” उन्होंने कहा कि आलोचना करने से पहले आत्मनिरीक्षण ज़रूरी है।
🧩 जनता के मन में सवाल: राजनीति में क्यों घुस रहे रिटायर्ड जज?
अब आम जनता और विशेषज्ञ भी पूछ रहे हैं—क्या वाकई ये आलोचनाएं निष्पक्ष हैं, या फिर ये सिर्फ सरकार के खिलाफ एक संगठित राजनीतिक अभियान हैं?
🔚 निष्कर्ष: न्यायपालिका बनाम राजनीति या फिर व्यक्तिगत एजेंडा?
Amit Shah Retired Judges विवाद से यह सवाल उठता है कि क्या रिटायर्ड जजों की भूमिका सीमित होनी चाहिए? क्या न्यायपालिका से रिटायर होने के बाद भी व्यक्ति को निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए? इस बहस ने एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को जन्म दिया है।











