
Uttarkashi Cloudburst Reason: क्यों फटा धराली में बादल? जानिए बड़ा कारण
धरती पर तबाही बनकर बरसे बादल
Uttarkashi Cloudburst Reason की जब सच्चाई सामने आई तो वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। धराली के सीधे खड़े पहाड़ों के बीच जब नमी से भरे बादल फंसे, तो उनके पास निकलने की कोई जगह नहीं बची। नतीजा? बादल फट गया और जलप्रलय आ गया।
मौसम ने फिर दिखाई अपनी खतरनाक शक्ल
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में ऐसे हादसों में तेजी से इजाफा हुआ है। धराली की भौगोलिक बनावट बादलों को रोक देती है, और जब नमी ज्यादा होती है, तो बादल फटने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
भौगोलिक जाल में फंस जाते हैं बादल
धराली की ऊंची-खड़ी पहाड़ियां एक-दूसरे के इतने करीब हैं कि बादल वहां अटक जाते हैं। यही अटकाव एक दिन विस्फोट में बदल जाता है। ये दुर्लभ लेकिन जानलेवा स्थितियां होती हैं, जैसा मंगलवार को धराली में हुआ।
जान-माल की हानि क्यों होती है ज्यादा?
अगर ये बसासत पहाड़ी की तलहटी में नहीं होती, तो नुकसान इतना बड़ा नहीं होता। मानसून के समय बादल फटना आम है और यही समय सबसे ज्यादा जोखिम भरा होता है। पहाड़ों में एक जैसे ऊंचे और करीब-करीब सटे पहाड़ इन घटनाओं को न्यौता देते हैं।
सतर्कता ही है इकलौता उपाय
डॉ. नरेंद्र सिंह मानते हैं कि अब तक बादल फटने से रोकने का कोई वैज्ञानिक समाधान नहीं है। ऐसे में केवल सतर्कता ही हमारी सुरक्षा है। घर बनाने से पहले इलाके की भौगोलिक और पर्यावरणीय स्थिति को समझना अनिवार्य हो गया है।
नदी-गधेरों से दूरी रखें, खासकर मानसून में
मानसून के दौरान नदियों और गधेरों के किनारे रहना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे क्षेत्र बारिश के समय सबसे पहले जलप्रलय की चपेट में आते हैं। इसलिए इनसे दूर रहना ही बुद्धिमानी है।
हिमालय में बदलती जलवायु दे रही संकेत
Uttarkashi Cloudburst Reason के पीछे छिपा बड़ा संकेत जलवायु परिवर्तन भी है। हिमालयी क्षेत्र में इसके असर साफ दिख रहे हैं। पर्यावरण असंतुलन इन आपदाओं को और गंभीर बना रहा है।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जरूरी है पर्यावरण संतुलन
यदि हमें भविष्य में Uttarkashi जैसी आपदाओं से बचना है, तो पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाना ही होगा। वरना हर साल एक नई तबाही हमारा इंतजार कर रही होगी।