

तीस साल की खामोशी के बाद जब भारतीय प्रधानमंत्री घाना की धरती पर उतरे, तो एक सुनहरी कहानी फिर से लिखी गई…
इतिहास में दर्ज हुई घाना यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घाना में कदम रखते ही इतिहास रच दिया। पिछले तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा थी, और इस मौके पर उन्हें विशेष गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया।
🏛 संसद में गूंजे भारत के संस्कार
पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित करते हुए भारत को “लोकतंत्र की जननी” बताया। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र हमारे लिए एक सिस्टम नहीं, बल्कि संस्कार है।” यह बयान न केवल भारत की सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है, बल्कि दोनों देशों के लोकतांत्रिक मूल्यों को जोड़ता है।
🌍 दिल से जुड़े दो देश
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह 140 करोड़ भारतीयों की शुभकामनाएं लेकर आए हैं। घाना को उन्होंने “सोने की भूमि” कहा – सिर्फ खनिजों के लिए नहीं, बल्कि वहां के लोगों के दिलों में बसे प्रेम और ताकत के लिए।
🏅 राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान
पीएम मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा से प्राप्त राष्ट्रीय पुरस्कार को “भावनात्मक अनुभव” बताया। उन्होंने इसे न केवल व्यक्तिगत सम्मान, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की ओर से मिला स्नेह और आदर कहा।
🌐 लोकतंत्र और संस्कृति की साझेदारी
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और घाना लोकतंत्र के साझा मूल्यों पर चलते हैं। यह दौरा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद अहम है।