🧱 न्यायपालिका संविधान और जनता का पुल: क्यों बोले CJI गवई
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में कार्यवाहक CJI रहे जस्टिस संजय गवई ने एक ऐतिहासिक बयान में कहा, “न्यायपालिका संविधान और जनता के बीच पुल का कार्य करती है।” उन्होंने ये बात एक राष्ट्रीय न्यायिक संगोष्ठी में कही, जहां देशभर के न्यायाधीश, वकील और संवैधानिक विशेषज्ञ शामिल हुए थे।
⚖️ लोकतंत्र की रीढ़ है न्यायपालिका
जस्टिस गवई ने अपने संबोधन में कहा कि अदालतें केवल विवाद सुलझाने की जगह नहीं हैं, बल्कि ये संस्थाएं जनता की संवैधानिक अपेक्षाओं को पूरा करने का माध्यम हैं। न्यायपालिका संविधान की आत्मा और लोकतंत्र की रीढ़ है।
🧩 जनता और संविधान के बीच की कड़ी
उन्होंने जोर देकर कहा कि आम नागरिक को न्याय मिलना तभी संभव है, जब अदालतें न केवल निष्पक्ष हों, बल्कि उनके निर्णयों में पारदर्शिता और जनकल्याण की भावना हो। न्यायपालिका संविधान में निहित मूल्यों को आम जनता तक पहुंचाने का माध्यम है।
🏛️ संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का दायित्व
CJI गवई ने यह भी कहा कि न्यायपालिका का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है—संविधान में दिए गए मूल अधिकारों की रक्षा। जब भी कार्यपालिका या विधायिका अपने दायरे से बाहर जाती है, तब न्यायपालिका ही है जो संतुलन बनाए रखती है।
📚 न्याय का नया दृष्टिकोण
गवई ने कहा कि समय के साथ-साथ न्यायपालिका को भी अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा। अब जरूरत है कि तकनीक, पारदर्शिता और पहुंच को प्राथमिकता दी जाए, ताकि हर नागरिक को समय पर न्याय मिल सके।
📢 देशभर में हो रही है चर्चा
CJI गवई के इस बयान ने सोशल मीडिया और कानूनी हलकों में गहरी चर्चा छेड़ दी है। कई लोगों ने इसे न्यायपालिका की भूमिका की सही व्याख्या बताया, जबकि कुछ ने इसे न्यायिक सुधारों की जरूरत से जोड़ा।











