नई रणनीतिक बिसात
EU India Strategic Partnership पर अब नई रोशनी पड़ी है। यूरोपीय संघ ने साफ कर दिया है कि वह भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करेगा।
हिंद-प्रशांत में बढ़ता तनाव
चीन की बढ़ती मौजूदगी और दखल ने हिंद-प्रशांत को भू-राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बना दिया है। यही वजह है कि EU अब भारत जैसे भरोसेमंद साझेदार पर अधिक निर्भर हो रहा है।
भारत की अहम भूमिका
भारत को इस क्षेत्र में लोकतंत्र और स्थिरता की रीढ़ माना जा रहा है। EU का मानना है कि भारत के साथ मजबूत तालमेल ही एशिया-प्रशांत में शक्ति संतुलन बनाए रख सकता है।
चीन पर सीधी चिंता
यूरोपीय संघ ने अपने बयानों में साफ कहा है कि चीन के आक्रामक रवैये और समुद्री विस्तारवाद से अंतरराष्ट्रीय कानून और व्यापार की स्वतंत्रता को खतरा है।
भविष्य की दिशा
अब EU India Strategic Partnership न सिर्फ व्यापार तक सीमित रहेगी, बल्कि सुरक्षा, तकनीक और रणनीतिक सहयोग तक फैलेगी। यह साझेदारी आने वाले समय में वैश्विक राजनीति का अहम मोड़ साबित हो सकती है।











