🚨 संविधान में बदलाव या लोकतंत्र पर वार?
Constitution Amendment Bill ने सियासी हलकों में तूफान ला दिया है। जैसे ही सरकार ने यह विधेयक संसद में पेश किया, विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और संघवाद के लिए “खतरे की घंटी” करार दे दिया। क्या यह बदलाव सच में सुधार है या किसी छिपे एजेंडे की शुरुआत?
🗣️ विपक्ष ने उठाए तीखे सवाल
कांग्रेस, तृणमूल, आम आदमी पार्टी और डीएमके जैसे विपक्षी दलों ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका आरोप है कि इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना चाहती है।
🏛️ क्या संघवाद पर मंडरा रहा है संकट?
संविधान का मूल ढांचा संघीय है—जहां केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन है। विपक्ष का दावा है कि यह संशोधन इसी संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश है, जिससे राज्यों की स्वायत्तता को नुकसान होगा।
🔍 सरकार की सफाई, लेकिन भरोसा नहीं
सरकार का कहना है कि यह विधेयक “देशहित में जरूरी” है और इसका मकसद “नीतिगत सुधार” करना है। लेकिन विपक्ष इसे “नीति के नाम पर सत्ता का केंद्रीकरण” मान रहा है। सवाल यह है—क्या यह संशोधन वास्तव में लोकतंत्र को मजबूत करेगा या कमज़ोर?
⚔️ राजनीतिक टकराव की शुरुआत
यह विधेयक अब सिर्फ़ एक क़ानूनी दस्तावेज़ नहीं रहा, बल्कि केंद्र और राज्यों के बीच अधिकारों की खींचतान का प्रतीक बन चुका है। आने वाले हफ्तों में यह बहस और भी तीव्र हो सकती











