⚖️ Bihar SIR Project पर Supreme Court का बड़ा फैसला!
Bihar SIR project को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और निर्णायक आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह प्रोजेक्ट अब रुकेगा नहीं, क्योंकि आपत्तियां दाखिल करने की जो समय सीमा तय की गई थी, उसे अब और नहीं बढ़ाया जाएगा।
⏳ समय सीमा बढ़ाने की मांग खारिज
कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत से गुहार लगाई थी कि SIR (Special Investment Region) योजना के तहत जिन लोगों को नोटिस भेजे गए हैं, उन्हें आपत्ति दर्ज कराने के लिए और समय दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
🧾 कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “योजना सार्वजनिक डोमेन में थी। लोगों को पहले ही पर्याप्त समय और सूचना दी गई थी। अब देरी का कोई औचित्य नहीं है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि विकास योजनाओं को अनिश्चितकाल तक रोका नहीं जा सकता।
🏗️ क्या है Bihar SIR Project?
Bihar SIR project राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी औद्योगिक योजना है, जिसके तहत विशेष निवेश क्षेत्रों का निर्माण किया जा रहा है। इससे रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
🙅♂️ स्थानीय विरोध क्यों हो रहा है?
कई ग्रामीण और किसान समूह इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता नहीं है और उन्हें ठीक से मुआवज़ा नहीं मिल रहा। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि आपत्तियों का समय अब समाप्त हो चुका है।
🚀 अब क्या होगा आगे?
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी है, तो बिहार सरकार को खुली छूट मिल गई है कि वह SIR प्रोजेक्ट को तेज़ी से आगे बढ़ाए। इससे विकास कार्यों को गति मिलेगी, लेकिन विरोध की आवाज़ें शायद और तेज़ हो सकती हैं।
🔚 निष्कर्ष: विकास बनाम अधिकार की लड़ाई?
Bihar SIR project अब एक नए मोड़ पर आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विकास को प्राथमिकता दी है, लेकिन ज़मीन से जुड़े हक़दारों की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं। आगे की लड़ाई शायद अब सड़क पर लड़ी जाएगी, न कि कोर्ट में।











