सवाल से पहले ही सन्नाटा
Bihar Politics की गलियों में जब भी प्रशांत किशोर का नाम लिया जाता है, नेताओं के चेहरे पर अचानक खामोशी छा जाती है। सवाल अधूरा रह जाता है और जवाब हाथ जोड़कर टाल दिया जाता है। आखिर इस चुप्पी के पीछे क्या राज छिपा है?
राजनीति का नया समीकरण
प्रशांत किशोर लंबे समय तक चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चाओं में रहे हैं। Bihar Politics में उनकी एंट्री से नेताओं को लगता है कि समीकरण बदल सकते हैं। यही कारण है कि जब उनका नाम लिया जाता है, तो नेता बयान देने से बचते हैं।
नेताओं की असहजता
PK के बारे में बात करना कई दलों के लिए असहज स्थिति पैदा कर देता है। कोई उनके खिलाफ बोलने का जोखिम नहीं लेना चाहता और न ही समर्थन जताकर विवाद मोल लेना चाहता है। इसीलिए उनके नाम पर अक्सर चुप्पी साध ली जाती है।
जनता की नजरें टिकीं
जहां नेता बोलने से बचते हैं, वहीं जनता के बीच PK की लोकप्रियता बनी हुई है। Bihar Politics में उनकी मौजूदगी एक रहस्य की तरह है, जो हर किसी को उत्सुक बनाए रखता है।
भविष्य का इशारा
नेताओं की चुप्पी इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में PK की भूमिका और बड़ी हो सकती है। Bihar Politics में उनकी सक्रियता ने सबको सतर्क कर दिया है।











