“तब मेरी हिंदी उतनी अच्छी नहीं थी” — भावनाओं से भरा पल
दिल छू लेने वाले अंदाज़ में Amit Shah ने याद किया वह समय जब उनकी Hindi learning journey अभी शुरू ही हुई थी। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “तब मेरी हिंदी उतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन मैंने सीखा… और आज यह मेरी ताकत है।”
अपने संबोधन में अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि Dainik Jagran ने हिंदी सुधार की दिशा में उनकी बहुत मदद की। अखबार के लेख और संपादकीय पढ़ते हुए, उन्होंने न सिर्फ भाषा सीखी बल्कि उसके भाव और संस्कार भी आत्मसात किए।
राजनीति से परे भाषा का समर्पण
शाह ने यह भी जोड़ा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कारों की जड़ है। उन्होंने स्वीकार किया कि हिंदी ने उन्हें लोगों से जोड़ने की ताकत दी और Dainik Jagran जैसे मीडिया संस्थानों ने इसमें सेतु का काम किया।
भाषा सुधार की प्रेरक कहानी
उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि मातृभाषा में दक्षता हर भारतीय के आत्मविश्वास की नींव है। Amit Shah Hindi learning की यह कहानी आज हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहता है।










