🗣️ डेमोक्रेट्स का सवाल – दोहरी नीति क्यों?
Trump Tariffs War को लेकर अमेरिकी राजनीति में फिर गरमाहट आ गई है। इस बार निशाने पर हैं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्हें डेमोक्रेट नेताओं ने आड़े हाथों लिया है। सवाल यह है कि जब ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीद पर सख्त रवैया अपनाया, तो चीन के खिलाफ वैसी ही कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
🇷🇺 रूसी तेल पर लगे थे प्रतिबंध
ट्रंप कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने रूस पर कई तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लगाए थे, जिनमें रूसी तेल के आयात पर रोक भी शामिल थी। इसका उद्देश्य रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और उसकी नीतियों पर दबाव बनाना था।
🇨🇳 चीन पर नरमी को लेकर उठे सवाल
लेकिन डेमोक्रेट नेताओं का आरोप है कि ट्रंप ने चीन की बढ़ती आक्रामकता और व्यापारिक गड़बड़ियों के बावजूद उस पर कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की। यही वजह है कि अब यह पूछा जा रहा है – क्या ट्रंप की नीति दोहरी थी?
🧾 डेमोक्रेट्स ने दी तर्कों की लड़ी
अमेरिकी कांग्रेस में कई डेमोक्रेट नेताओं ने कहा है कि यदि ट्रंप रूस से तेल आयात रोक सकते हैं, तो चीन से आयात और निवेश पर भी वैसी ही सख्ती क्यों नहीं दिखाई गई? इससे उनके इरादों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
🔍 चीन और ट्रंप के पुराने रिश्ते भी चर्चा में
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप का चीन के साथ रिश्ता कभी तनावपूर्ण तो कभी मेल-मिलाप वाला रहा। हालांकि उन्होंने चीन पर टैरिफ लगाए थे, पर रूस जैसी ‘कड़ी सज़ा’ कभी नहीं दी गई।
🗳️ चुनाव नज़दीक, बयानबाज़ी तेज
2024 के राष्ट्रपति चुनावों को ध्यान में रखते हुए, Trump Tariffs War से जुड़ी बहस अब तेज होती जा रही है। डेमोक्रेट्स ट्रंप को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे, जबकि ट्रंप समर्थक इसे राजनीतिक हथकंडा बता रहे हैं।











