🔹 “जब तक समाज बंटा रहेगा, देश नहीं बन पाएगा महान”
RSS Vision को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि समाज की एकता और आपसी समरसता ही राष्ट्रभक्ति की असली पहचान है। उन्होंने कहा कि जो समाज टूट जाता है, उसकी शक्ति भी बिखर जाती है।
🔹 धर्म, जाति, भाषा—भेद मिटाकर खड़ी हो एक सोच
मोहन भागवत ने अपने हालिया संबोधन में ज़ोर दिया कि धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव समाज को कमज़ोर करता है। RSS Vision का मूल यह है कि हर नागरिक पहले भारतीय है, बाकी पहचान बाद में आती है।
🔹 देशभक्ति का मतलब नारे नहीं, व्यवहार में दिखे भाव
भागवत ने कहा कि देशभक्ति सिर्फ नारों और भाषणों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। असल देशभक्ति वही है जो व्यवहार, सेवा और समाज के प्रति समर्पण में दिखे। RSS Vision इस विचार को ज़मीन पर उतारने में वर्षों से कार्यरत है।
🔹 विविधता में एकता ही भारत की पहचान
संघ प्रमुख ने कहा, “हमारा देश विविधताओं से भरा है, लेकिन इन्हीं विविधताओं में एकता का भाव ही हमें दुनिया से अलग बनाता है।” उन्होंने ज़ोर दिया कि हर वर्ग, हर विचारधारा के लोग अगर राष्ट्रहित को प्राथमिकता दें, तो समाज स्वयं एक हो जाएगा।
🔹 भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए चाहिए सामाजिक समरसता
RSS Vision के मुताबिक, भारत को विश्वगुरु तभी बनाया जा सकता है जब समाज में आत्मीयता हो। आर्थिक विकास, तकनीक और सैन्य शक्ति तभी सार्थक हैं जब हम अपने समाज को भीतर से मज़बूत करें।
🔹 संघ का उद्देश्य: जागरूक नागरिक, सशक्त राष्ट्र
भागवत ने यह भी कहा कि संघ का लक्ष्य राजनीतिक नहीं, बल्कि एक जागरूक, अनुशासित और देशप्रेम से भरा समाज खड़ा करना है। यही RSS Vision का आधार है—जहां हर नागरिक राष्ट्र का सैनिक हो, चाहे वह किसी भी भूमिका में क्यों न हो।
🔹 “मेरा धर्म, मेरी संस्कृति = भारत माता”
अपने भाषण के अंत में मोहन भागवत ने कहा, “हमारी पूजा-पद्धति कुछ भी हो, लेकिन हमारी मातृभूमि एक ही है—भारत।” यही सोच यदि हर दिल में बस जाए, तो राष्ट्र को कोई बाहरी या आंतरिक ताकत हिला नहीं सकती।
🔚 निष्कर्ष: देशभक्ति का रास्ता समाज को जोड़ने से ही गुजरता है
RSS Vision यही सिखाता है कि विचारों में भले भिन्नता हो, दिलों में भारत होना चाहिए। मोहन भागवत का यह संदेश सिर्फ संघ कार्यकर्ताओं के लिए नहीं, हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है।











