
Trump-Putin Alaska Meeting: क्यों बनी चर्चा का विषय?
दुनिया की निगाहें उस हाई-प्रोफाइल मुलाकात पर टिकी थीं, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का में आमने-सामने बैठे। यह मीटिंग कई घंटों तक चली, लेकिन नतीजा? किसी भी बड़े मुद्दे पर कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया। यही वजह है कि इस मुलाकात को अब तक की सबसे बेनतीजा बैठकों में से एक बताया जा रहा है।
भारत-चीन Tariff पर ट्रंप का बदला मिजाज
इस मीटिंग का सबसे बड़ा सरप्राइज तब आया, जब पुतिन से बातचीत के बाद ट्रंप का रुख अचानक नरम दिखाई दिया। लंबे समय से भारत और चीन पर टैरिफ लगाने की धमकी देने वाले ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा—“फिलहाल इसकी कोई जरूरत नहीं है।” इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलकों को चौंकाया, बल्कि पूरी दुनिया को एक नए सस्पेंस में डाल दिया।
Secondary Tariff पर क्या बोले Trump?
मीडिया से बातचीत के दौरान जब ट्रंप से रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी टैरिफ को लेकर सवाल पूछा गया, तो उनका जवाब और भी दिलचस्प था। उन्होंने कहा कि अभी इसकी कोई आवश्यकता नहीं दिख रही। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर हालात बदले, तो अगले दो से तीन हफ्तों में इस पर विचार किया जा सकता है।
Fox News को दिया संकेत
फॉक्स न्यूज़ से बातचीत में भी ट्रंप ने इसी रुख को दोहराया। उनका कहना था कि आज की बैठक के बाद उन्हें सेकेंडरी टैरिफ पर सोचने की ज़रूरत नहीं लगती। हालांकि, भविष्य की परिस्थितियों पर उन्होंने स्थिति बदलने की संभावना जताई। दिलचस्प यह भी रहा कि उन्होंने इस बेनतीजा वार्ता को ‘बेहतरीन’ बताया।
पहले दिए थे कड़े बयान
याद दिला दें कि हाल ही में ट्रंप ने धमकी दी थी कि रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने रूस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की भी चेतावनी दी थी। लेकिन अब जब पूरी दुनिया उनके आक्रामक फैसले की उम्मीद कर रही थी, अलास्का मीटिंग के बाद उनका लहजा पूरी तरह बदल गया।
नई रणनीति या अस्थायी नरमी?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत-चीन Tariff पर ट्रंप का नरम रुख किसी नई रणनीति का हिस्सा है? या यह सिर्फ अस्थायी नरमी है, जिससे वह दुनिया को अपनी अगली चाल के बारे में अनुमान लगाने पर मजबूर कर रहे हैं? जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेगा, लेकिन अभी इतना तय है कि यह मीटिंग भले ही बेनतीजा रही हो, मगर इसने दुनिया की राजनीति को नए मोड़ पर खड़ा कर दिया है।