
US-China Trade War आज एक अहम मोड़ पर है, जहां टैरिफ लागू होने पर दुनिया की अर्थव्यवस्था तक हिल सकती है।
अंतिम दिन, बढ़ सकती है टकराहट
अमेरिका और चीन के बीच ‘व्यापार संघर्षविराम’ का आखिरी दिन आ चुका है। अगर आज समझौता नहीं हुआ, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीनी आयात पर फिर से भारी-भरकम टैरिफ लागू कर सकते हैं। इसके जवाब में चीन भी अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ाने के लिए तैयार है।
स्वीडन की बातचीत, उम्मीदें अधूरी
पिछले महीने स्वीडन में हुई बातचीत के बाद दोनों देशों ने एक अस्थायी समझौते पर काम शुरू किया था। ट्रंप के सलाहकारों को भरोसा था कि राष्ट्रपति समयसीमा बढ़ा देंगे, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
वैश्विक बाजार की सांसें थमीं
अगर टैरिफ बढ़ते हैं, तो इस साल की शुरुआत जैसा झटका वैश्विक बाजार को फिर लग सकता है। सोमवार को व्हाइट हाउस में इस पर सवाल पूछे गए, लेकिन ट्रंप ने जवाब को टाल दिया।
रिश्तों में नरमी, पर शर्तें कड़ी
ट्रंप ने कहा कि उनके राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ संबंध अच्छे हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने चीन से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद चार गुना बढ़ाने की मांग रखी।
कैसे पहुंचा मामला यहां तक
ट्रंप ने चीनी सामान पर टैरिफ 145% तक कर दिया, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उद्योग के लिए जरूरी रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात रोक दिया। इसके बाद 90 दिन का युद्धविराम हुआ, जिसमें दोनों ने टैरिफ घटाए।
अगर समझौता नहीं हुआ तो…
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने चेताया कि बिना समझौते के चीनी आयात पर टैरिफ 80% तक बढ़ सकता है। हालांकि, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट का मानना है कि यह सिर्फ तकनीकी मुद्दों पर अटका है।
बातचीत के नए मोर्चे
अब चर्चा में टैरिफ के साथ चीन की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता, रूस-ईरान से तेल खरीद और अमेरिकी माइक्रोचिप निर्यात नियंत्रण भी शामिल हैं। ट्रंप प्रशासन ने एआई चिप्स बेचने वाली कंपनियों से होने वाली कमाई का 15% सरकार को देने का प्रस्ताव रखा है।
आज का दिन क्यों खास
ट्रंप ने साफ कर दिया कि समझौता न हुआ तो शी चिनफिंग से मुलाकात नहीं होगी। आज, 12 अगस्त, का दिन इसलिए अहम है क्योंकि यहीं से तय होगा कि अमेरिका-चीन के रिश्ते सुधरेंगे या नया व्यापार युद्ध छिड़ जाएगा।