
📌 जबरन स्कूल बंदी नहीं!
UP School Merger पर सरकार का बड़ा फैसला आया सामने
UP School Merger मॉडल को लेकर मचे बवाल के बीच अब सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। अब किसी भी सरकारी स्कूल को जबरन मर्ज नहीं किया जाएगा — यही विभाग की ठोस घोषणा है।
📌 कम नामांकन वाले स्कूलों की नई चाल
बच्चों को मिलेंगी स्मार्ट सुविधाएं, नहीं होगी दूरी की दिक्कत
कम छात्र संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों को नजदीकी बड़े और संसाधनयुक्त स्कूलों से जोड़ा जा रहा है। इसका मकसद बच्चों को लाइब्रेरी, लैब, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं देना है — बिलकुल प्राइवेट स्कूल की तरह।
📌 विरोध के बावजूद सरकार का दावा
“पेयरिंग से मिलेगा बच्चों को ज्यादा अवसर”
स्कूल पेयरिंग मॉडल का विरोध जारी है, लेकिन सरकार इसे अवसरों की बारिश मान रही है। विभाग का कहना है कि इससे बच्चों को समूह चर्चा, प्रोजेक्ट्स और सांस्कृतिक गतिविधियों में अधिक भागीदारी का मौका मिलेगा।
📌 नीति की नींव राष्ट्रीय मंचों पर रखी गई
2022 धर्मशाला और 2024 दिल्ली सम्मेलन में मिली थी सहमति
इस नीति की शुरुआत कोई अचानक फैसला नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर हुए शिक्षा सम्मेलनों में पहले से ही पेयरिंग मॉडल को मंजूरी दी जा चुकी है। कई राज्य इसकी सफलता का उदाहरण बन चुके हैं।
📌 राजस्थान से असम तक साबित हो चुका है मॉडल
छात्र प्रदर्शन और टीचर-स्टूडेंट अनुपात में दिखा सुधार
राजस्थान, मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड और असम जैसे राज्यों में पेयरिंग से न सिर्फ छात्रों का प्रदर्शन सुधरा, बल्कि शिक्षकों की तैनाती भी प्रभावी हो गई।
📌 हर बच्चे को एक कैंपस, हर सुविधा एक जगह
प्री-प्राइमरी से लेकर क्लास 12 तक एक छत के नीचे पढ़ाई
पेयरिंग के बाद एक ही परिसर में बच्चों को नर्सरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक की शिक्षा मिलेगी। इससे उन्हें बार-बार स्कूल बदलने की ज़रूरत नहीं होगी और एक मजबूत शैक्षणिक आधार बनेगा।
📌 नहीं होगा कोई स्कूल बंद!
शिक्षकों की पोस्ट भी बरकरार रहेंगी
विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि पेयरिंग का मतलब स्कूल बंद करना नहीं है। सभी स्कूल अपने स्थान पर बने रहेंगे, और सभी पद भी यथावत रहेंगे।
📌 ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल’ बनेगा बदलाव का मॉडल
1.42 से 30 करोड़ की लागत से बन रहे आधुनिक विद्यालय
नई पहल के तहत ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय’ और ‘मुख्यमंत्री मॉडल स्कूल’ बनाए जा रहे हैं। इनमें स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी और कौशल विकास केंद्र जैसी सुविधाएं होंगी।
📌 अब तक 11 हजार स्कूल हुए पेयर
नामांकन कम होने पर मर्ज, लेकिन दूरी रखी गई न्यूनतम
प्रदेश में अब तक 11,000 स्कूलों को पेयर किया गया है। परन्तु, यह तभी किया गया जब बच्चों की संख्या बहुत कम थी और दूसरा स्कूल पास में था — अधिकतम 2 किलोमीटर के भीतर।
📌 बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र को मिली छूट
जहां दूरी है ज़्यादा, वहां पेयरिंग नहीं की गई
सरकार का कहना है कि स्कूलों को मर्ज करते समय जमीनी हकीकत देखी गई है। जैसे बुंदेलखंड जैसे इलाकों में स्कूलों की दूरी ज़्यादा होने के कारण वहां पेयरिंग नहीं की गई।
📌 सहमति ज़रूरी, मजबूरी नहीं
अभिभावकों और स्थानीय लोगों की बात सुनी जाएगी
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी स्कूल का विलय स्थानीय लोगों की सहमति के बिना नहीं होगा। यदि वे इसके खिलाफ हैं तो स्कूल पेयरिंग से बाहर रखा जाएगा।