
भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने के कदम के बाद पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। इसी कड़ी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार अब पानी के भंडारण की व्यवस्था को मजबूत करेगी।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर बुरी तरह से निर्भर है। इन नदियों के जल प्रवाह में किसी भी तरह की कमी पाकिस्तान को गंभीर जल संकट की ओर धकेल सकती है, जिससे देश को खाद्यान्न और सिंचाई दोनों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
शहबाज शरीफ ने मंगलवार को नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशन्स सेंटर के दौरे के दौरान इस मुद्दे पर चिंता जताई। पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान’ के अनुसार, उन्होंने कहा कि “दुश्मन सिंधु जल संधि के खिलाफ कदम उठाने की तैयारी में है।”
“पानी को संग्रहित करने की दिशा में उठाएंगे कदम”
प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा, “हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि हम देश में जल भंडारण की व्यवस्था को मजबूत करेंगे।” उन्होंने बताया कि सरकार जल प्रबंधन के बेहतर तरीकों पर काम करेगी, और डायमर भाशा डैम जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स इसमें अहम भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, “हम आने वाले वर्षों में अपने संसाधनों से जल भंडारण की पर्याप्त क्षमता विकसित करेंगे, जिसमें नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) की भी अहम भागीदारी होगी।”

पहलगाम आतंकी हमले के बाद बदला भारत का रुख
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय लिया। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे का एक महत्वपूर्ण समझौता है। पाकिस्तान का मानना है कि जल प्रवाह में किसी भी तरह की रुकावट उसकी खेती और जीवन प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है।
भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान में पानी को लेकर चिंता और रणनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं।