🔍 तीन मुद्दों ने बढ़ाई हलचल
Bharat-China Relation को लेकर नई दिल्ली में जैसे ही जयशंकर और वांग यी आमने-सामने हुए, बातचीत ने एक गंभीर मोड़ ले लिया। भारत ने तीन स्पष्ट मांगें रखीं—सीमा विवाद का हल, वैश्विक स्थिरता में साझेदारी और आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई। यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि संदेश देने वाली थी।
🧭 रिश्तों का नया नक्शा तैयार?
जयशंकर ने वांग के सामने स्पष्ट किया कि भारत-चीन के रिश्ते सिर्फ आर्थिक या कूटनीतिक नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और संवेदनशीलता पर टिके होने चाहिए। उन्होंने कहा—अब समय है एक नया अध्याय लिखने का, लेकिन पारदर्शिता के साथ।
🧨 सीमा विवाद का समाधान या टकराव?
पूर्वी लद्दाख में 2020 की घुसपैठ के बाद Bharat-China Relation तनाव में रहे हैं। हालांकि मोदी और शी जिनपिंग की अक्टूबर 2024 की मुलाकात के बाद से तनाव में कुछ कमी आई है। अब इस बैठक से उम्मीद है कि मंगलवार को NSA अजित डोभाल और वांग यी के बीच वार्ता में कोई ठोस समाधान निकल सकता है।
🧿 दुनिया देख रही है: वैश्विक स्थिरता पर जोर
जब दो बड़ी शक्तियाँ मिलती हैं, तो दुनिया की निगाहें टिक जाती हैं। जयशंकर ने बातचीत के दौरान बहुध्रुवीय एशिया और संतुलित वैश्विक व्यवस्था की वकालत की। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वर्तमान बहुपक्षीय संस्थाएं अब बदलाव की मांग कर रही हैं — और भारत इस बदलाव का नेतृत्व करने को तैयार है।
🛡️ आतंक पर भारत का सख्त रुख
भारत ने वांग यी से साफ शब्दों में कहा कि आतंकवाद पर दोहरा रवैया अब बर्दाश्त नहीं होगा। खासतौर पर UN में प्रतिबंध से बच रहे संगठनों, जैसे कि टीआरएफ, पर चीन को समर्थन देना होगा। भारत की मांग थी — संयुक्त राष्ट्र में कार्रवाई को चीन रोके नहीं, बल्कि आगे बढ़ाए।
🧩 भविष्य के रिश्तों की नींव
इस बैठक से एक बात साफ हुई — दोनों देश समझ चुके हैं कि टकराव नहीं, सहयोग ही रास्ता है। जयशंकर ने आशा जताई कि यह संवाद स्थिर, सहयोगी और दूरदर्शी Bharat-China Relation की नींव रखेगा। ऐसा रिश्ता जो दोनों देशों की चिंताओं को माने और हितों की रक्षा करे।











